चाणक्य नीति: बुद्धिमान व्यक्ति इन 5 पर कभी विश्वास नहीं करता
सभी परोपकार और तप तात्कालिक लाभ देते हैं लेकिन सुपात्र को जो दान दिया जाता है और सभी जीवो को जो संरक्षण प्रदान किया जाता है उसका पुण्य कर्म कभी नष्ट नहीं होता। घास का तिनका हल्का है कपास उससे भी हल्का है भिखारी तो अनंत हल्का है फिर हवा का झोंका उसे उड़ाते क्यों नहीं ले जाता डरता है कहीं बा भीख ना मांग ले। बेइज्जत होकर जीने से अच्छा है कि मर जाएं मरने में एक षंड का दुख होता है पर बेइज्जत होकर जीने में हर रोज दुख उठाना पड़ता है। सभी जीव मीठे वचनों से आनंदीत होते हैं इसलिए हम सबसे मीठे बचन कहे, मीठे वचनों की कोई कमी नहीं। इस दुनिया के वृक्ष को दो मीठे फल लगे हैं मधुर वचन और दूसरा सत्संग पहले के जन्मों की अच्छी आदतें जैसे दान विद्यार्जन और तप इस जन्म में भी चलती रहती है क्योंकि सभी जन्म एक श्रंखला से जुड़े होते हैं। ज्ञान किताबों में सिमट गया है और जिसने अपनी दौलत दूसरों के सुपुर्द कर दी है बस जरूरत पड़ने पर न अपना ज्ञान इस्तेमाल कर सकता है और ना अपनी दौलत। विद्वान जिसने असंख्य किताबों का अध्ययन बिना सद्गुरु के आशीर्वाद से कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है। उसी प्रकार जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती हमें दूसरों से जो मदद प्राप्त हुई है उसे हमें लौटाना चाहिए उसी प्रकार यदि किसी ने हमसे दुष्टता की है तो हमें भी उससे दुष्टता करनी चाहिए ऐसा करने में कोई पाप नहीं है।
वह चीज जो दूर दिखाई देती है जो असंभव दिखाई देती है तथा जो हमारी पहुंच से बाहर दिखाई देती है वो भी आसानी से हासिल हो सकती है यदि हम तप करते हैं क्योंकि तप से ऊपर कुछ नहीं। लोभ से बड़ा दुर्गुण क्या हो सकता है और निंदा से बड़ा पाप क्या है जो सत्य में प्रस्थापित है उसे तप करने की क्या जरूरत है जिसका हृदय शुद्ध है उसे तीर्थयात्रा की क्या जरूरत है स्वभाव अच्छा है तो और किस गुण की ज़रूरत है ? यदि कीर्ति है तो अलंकार की क्या जरूरत है यदि व्यवहार ज्ञान है तो दौलत की क्या जरूरत है और यदि अपमान हुआ है तो मृत्यु से भयंकर नहीं है। समुद्री सभी रत्नों का भंडार है वह शंख का पिता है देवी लक्ष्मी शंख की बहन है लेकिन दर-दर पर भीख मांगने वाले हाथ में शंख लेकर घूमते हैं इससे यह बात सिद्ध होती है कि उसी को मिलेगा जिसने पहले दिया है। जब आदमी में शक्ति नहीं रह जाती तो बसा दो हो जाता है जिसके पास दौलत नहीं होती वह ब्रह्मचारी बन जाता है। औरत बड़ी होती है तो पति के प्रति समर्पित हो जाती है सांप के डांस में विष होता है कीड़े के मुंह में विष होता है बिच्छू के डंक में विश होता है लेकिन दुष्ट व्यक्ति तो पूरा का पूरा विष से भरा हुआ होता है।
जो स्त्री अपने पति की सहमति के बिना व्रत रखती है और उपवास करती है वह उसकी आयु घटाती है वह खुद नरक में जाती है। स्त्री दान देकर उपवास रखकर और पवित्र जल का पान करके पावन नहीं हो सकती पति के चरणों को धोने से और ऐसे जल का पान करने से छूट होती है। एक हाथ की शोभा गहनों से नहीं दान देने से है चंदन का लेप लगाने से नहीं जल से नहाने से निर्मलता आती है एक व्यक्ति भोजन खिलाने से नहीं सम्मान देने से संतुष्ट होता है। मुक्ति खुद को सजाने से नहीं होती आध्यात्मिक ज्ञान को जगाने से होती है। औरत के कारण आदमी की शक्ति खो जाती है और दूध से वापस आती है जिसमें सभी जीवो के प्रति परोपकार की भावना है वह सभी संकटों पर मात करता है और उसे हर कदम पर सभी प्रकार की संपन्नता प्राप्त होती है।
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